पूर्वी भारत में स्थित राज्य पश्चिम बंगाल का इतिहास समृद्ध विरासत, विविध संस्कृतियों और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं की कहानी है, जिन्होंने सदियों से इसकी पहचान को आकार दिया है चलिए जानते हैं

1.प्राचीन काल: यह क्षेत्र जिसे अब पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है, प्राचीन काल से ही बसा हुआ है। यह मौर्य और गुप्त साम्राज्य सहित विभिन्न प्राचीन साम्राज्यों और साम्राज्यों का हिस्सा था।

वर्तमान बिहार में स्थित प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय ने बंगाल के विद्वानों को आकर्षित किया और इस क्षेत्र के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में योगदान दिया।

2.मध्यकालीन काल: मध्ययुगीन काल के दौरान, बंगाल पर पाल और सेन राजवंशों सहित विभिन्न राजवंशों का शासन था।

पाल साम्राज्य, जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) थी, बौद्ध धर्म के समर्थन और कला, संस्कृति और शिक्षा के उत्कर्ष के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध था।

3. इस्लामी शासन: 13वीं शताब्दी में, बंगाल दिल्ली सल्तनत के शासन में आ गया, जिससे इस क्षेत्र में इस्लामी प्रभाव की शुरुआत हुई।

 इसके बाद, बंगाल में स्वतंत्र मुस्लिम शासकों का उदय हुआ, जैसे कि बंगाल सल्तनत, जिसका नेतृत्व सुल्तान शम्सुद्दीन इलियास शाह और सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह ने किया।

4.मुग़ल काल: 16वीं सदी में बंगाल मुग़ल साम्राज्य का एक प्रांत बन गया। मुगलों ने अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण नियंत्रण रखा, ढाका (अब बांग्लादेश में) प्रांतीय राजधानी के रूप में कार्यरत था।

5. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन: 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल पर नियंत्रण  कर लिया। बंगाल भारत में ब्रिटिश प्रशासन का केंद्र बन गया, कलकत्ता  ब्रिटिश भारत की राजधानी था।

1911 तक। अंग्रेजों ने बंगाल की अर्थव्यवस्था, समाज और प्रशासन में महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिसमें 1905 में बंगाल का विभाजन भी शामिल था, जिसे बाद में व्यापक विरोध के कारण रद्द कर दिया गया था।

6.भारत का विभाजन: 1947 में,  ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, परिणामस्वरूप धार्मिक आधार पर बंगाल का विभाजन हुआ। बंगाल का पूर्वी भाग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) बन गया, जबकि पश्चिमी भाग पश्चिम बंगाल के रूप में भारत का हिस्सा बना रहा।